जब से मोबाइल फ़ोन सस्ते हुए हैं, हम सब ज़रूरत पड़ने पर मिस्ड कॉल मार रहे हैं. बोला भी जाता है, 'कुछ चाहिए हो तो मिस्ड कॉल मार देना.' लेकिन ज़रूरी नहीं कि हर तरह की मिस्ड कॉल केवल फ़ोन से ही मारी जाए. देखें तो हर जगह हम एक दूसरे को कई तरीकों से इशारे करते रहते हैं, संकेत देते रहते हैं और रेस्पोंस भी करते हैं.
इसी तरह कक्षा में भी बच्चे हमें कॉल मारते रहते हैं, लेकिन हम मिस ही करते रहते हैं! उनके चेहरे, हाव-भाव और उत्साह में अचानक कमी से हमको पता चलना चाहिए कि वे हमारी बातें समझ रहे हैं कि नहीं, मन से भाग ले रहे हैं या नहीं... उनके किये गए काम से दिख जाता है कि हम उन तक पहुँचने में कितने सफल रहे.
अगर हमारे कमरे में घुसते ही शांति हो जाये या रौनक बढ़ जाये तो हमें कुछ सन्देश दिया जा रहा है. बच्चे कक्ष में अपने काम के लिए बेहिचक घूमते हैं या एक दूसरे की मदद करते हैं, तो वे हमें बता रहे हैं कि वे हम पर पूरी तरह विश्वास करते हैं. क्या बच्चे हमारे पास आने से कतराते हैं या खुल कर अपनी बात बताते हैं? क्या वे हमारी आँखों में आँखें डाल कर बातें कर पाते हैं?
ये हैं कुछ मिस्ड कॉल जो बच्चे हमें मारते हैं. और कौन-कौन सी कॉलें हैं जिन्हें हम मिस करते रहते हैं?
और क्या इसी तरह प्रक्षिक्षण के दौरान आप भी अपने प्रशिक्षक को मिस्ड कॉल मारते हैं? और क्या वे कॉलें ली जाती हैं?
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